मुझें अच्छा नही लगता
जानकर तेरा मुझसे, यूँ नज़रे चुरा लेना, मुझें अच्छा नही लगता। तू सच्चा हैं, तो सच्चा रह, यूँ जुबाँ पर तेरी फ़रेब, मुझें अच्छा नही लगता। तेरा रहकर मेरे दिल के क़रीब, यूँ मुझसे कोसों दूर रह जाना, मुझे अच्छा नही लगता। दबाकर दिल में मोहब्बत, तेरा मुझकों यूँ सताना, मुझें अच्छा नही लगता। माना कि ये दौर मुश्किल हैं, मगर तेरा यूँ लड़खड़ाना, मुझें अच्छा नही लगता। जानता हूँ इश्क़ आसां नहीं, मग़र यूँ तेरा सर झुकाना, मुझें अच्छा नही लगता। चाहत फक़त तबस्सुम हैं तेरे चेहरे की, तेरा यूँ परेशां हो जाना, मुझें अच्छा नही लगता। ✍️ लेखक :- दिगम्बर रमेश हिंदुस्तानी🇮🇳