बाक़ी हैं...
ज़रा मेरें इन हौसलों को देखों, अभी इनमें में एक ऊँची... उड़ान बाक़ी है। ये मेरें ख़्वाब, जो इतने...बड़े हैं, क्योंकि दिल में मेरें, एक हिंदुस्तान बाक़ी है। ये जो चोरों की फेहरिस्त, जमा हैं यहाँ देश मे, अभी इन्हें कूटने का, मेरा इंतेजाम बाक़ी है। अभी तो सिर्फ़ लफ़्ज़ों से बयां है, मेरी तक़रीर, अभी करतब से मेरा, एक तूफ़ान बाक़ी है। अभी तो निकला हूँ मैं, बांधकर सर पर क़फ़न, अभी देश को बदलने का, मेरा अंजाम बाक़ी है। अभी तो सिर्फ़, ये शुरुआत हैं मेरी, अभी जीतने को, ये सारा जहान...बाक़ी है। ये जो पड़ी हैं दिलों में, इतनी...जगह बंजर, वहाँ अभी क़ब्जे का, मेरा मकान बाक़ी है। अभी तो निकला हूँ मैं, इस पावन माटी पर, मेरें उड़ने को, ये पूरा आसमान बाक़ी है। जिस जिसने लूटा हैं, मेरें देश, मेरें घर को, अभी उन सबसे मेरा, इंतकाम...बाक़ी है। अभी अभी तो ज़िंदगी को, पढ़ना शुरू किया है मैंने, अभी इस ज़िंदगी के, बड़े बड़े इम्तेहान...बाक़ी है। ये मोदी सरकार सिर्फ़, तब तलक अस्तित्व में है, जब तक भव्य राम मंदिर निर्माण जुमला, सरे आम बाक़ी है। ये लूट देश में अब, सिर्फ़ तब तक जारी है, जितने मेरी राजनीति शुरू हो