राजनीति का ज़रिया

ज़रिया बन गया हैं कमाई का,राजनीतिक मंचों पर,
ज़रिया बन गया हैं लड़ाई का धार्मिक मंचो पर,
जातिवाद दिमाग़ में कम शब्दों में ज्यादा फैल रहा हैं,
हर नेता हर बार किसी जाति के लिए बोल रहा है,
यहाँ कोई बात अधिकार की कर रहा हैं,
तो कोई बात स्वाभिमान की कर रहा हैं,
हक़ीक़त ढूंढे अगर बात की तह में जा कर,
हर कोई नेता गंदी राजनीति से अपनी जेबें भर रहा हैं,
करते तो हैं राजनीति,कुछ राजनीतिक लोग,
जनता को तो आपस में लड़वा कर,
शतरंज के मोहरों की तरह इस्तेमाल कर रहा हैं,
क्योंकि हर कोई नेता अपनी राजनीति कर रहा है,
मैं कर रहा हूँ आपसे एक छोटी सी गुज़ारिश,
लड़ना बन्द कर दें सभी मेरें प्यारे साथी,समान हैं सारी जाति,
छोड़कर अपनी अपनी ज़िद,बढ़ावा दें मानवता को,
छोड़ कर तांता नेताओं का,अग्रसर करें सभ्यता को,
पिछड़ रहा है मेरा देश,ओढ़ कर जाति,धर्म का भेष,
जिससे फैल रहा हैं दिलों में नफ़रत और द्वेष,
देश को आगे बढ़ाना है,शिक्षा का दीपक जलाना हैं,
जब फैलेंगी शिक्षा तो बढ़ेगा प्यार,
ख़त्म हों जाएँगे एक दिन दुनिया से घातक हथियार....

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