दुनियां का नज़रिया

देश को बदलने की हसरतें,दिल में यूँ ना पाल,
देखेंगी दुनिया तुझें तो,तुझसे करने लगेंगी सवाल,

करेगा काम तू तो भलाई का दुनिया के लिए,
कहेगी दुनिया करता हैं काम अपनी कमाई के लिए,

अगर चाह हैं देश को बदलने की तो,
अपने इरादों को ऐसे इख्तियार कर,

खड़ा हो जाए ख़िलाफ़,बेशक़ सारा ज़माना,
उन्हें प्यार से जीतने का इंतजाम कर,

थक कर बैठना नहीं हैं तुझें,तू तो बे-लगाम घोड़ा है,
बाँट जितना बाँट सकता हैं प्यार दुनिया में,

क्योंकि जितना भी बाँटेगा प्यार वो सब थोड़ा हैं,
बदलेंगी जरूर मेरें भी भारत देश की तस्वीर,

थोड़ी कर तू कोशिश जातिवादी दलदल से देश को निकालने की
थोड़ा तू सब्र कर और थोड़ा ख़ुद पर एतबार कर..........


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