क्रांतिवीर दिगम्बर

मैं जो करता हूँ , बदलाव की बातें, हर वक़्त,
इन सियासतदानों को, मेरा ये भाव मंजूर ना है।

समझते है लोग, मुझें कोई पागल दीवाना,
मगर इससे ज्यादा, मेरा कोई कसूर ना हैं।

है नीयत में खोट, अब व्यापार है, इनकी राजनीति,
इन नेताओं का सिवा इसके, कोई दस्तूर ना हैं।

बैठें हैं कई बरसों से, सबके सब लुटेरे, सत्ता में,
मग़र अब और मेरें ज़िगर को, ये मंजूर ना है।

बिक तो मैं भी जाता, कड़क कड़क नोट लेकर,
मग़र ग़लत के साथ लहज़े में, मेरें जी हजूर ना हैं।

बस बनाना हैं मुझें, मेरें सपनों का हिंदुस्तान,
मेरें दिल में और दूजा कोई फितूर ना हैं।

दोस्तों! एक नए भारत को बुनता, क्रांतिवीर है "दिगम्बर",
किसी मुक़द्दर का मारा, कोई मजदूर ना है।

-✍ दिगम्बर रमेश हिंदुस्तानी🇮🇳














    

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