व्यवहार में सादापन सन्देश में भाईचारा हैं, मिलकर चलना है साथ हमको, ये हिंदुस्तान हमारा हैं।

मैं एक छोटी सी नदी हूँ, मैं निरंतर बहती हूँ,
ज़माना रुक जाता है, मैं सदैव चाल में रहती हूँ।

मिलती हूँ हज़ारो से, कभी पर्वत कभी पहाड़ो से,
तो कभी लाखों वनस्पतियों के तंग गलियारों से।

इसलिए ही शायद, मुझमें चीनी सी मिठास है,
लोगों की लगी मेरे इसी व्यवहार से मुझसे आस हैं।

मुझमें हज़ारो ज़हरी कीट मकोड़ों का वास है,
लेकिन उन्हें भी मेरे मीठे व्यवहार की प्यास हैं।

मेरें बड़े भाई महासागर की हस्ती बड़ी महान हैं,
मेरी सभी नदी बहनों में ही बसती उसकी जान हैं।

बड़ा है महासागर हमसे लेकिन अब भी वो नादान हैं,
क्योंकि अपने बड़े होने का उसे हो चुका गुमान है।

उसकी नादानी के कारण ही हम सभी बहनों का उसे सहारा हैं,
इसलिए ही शायद उसका व्यवहार नमक सा थोड़ा खारा है।

बेशक़ अत्यधिक बड़े बनों व्यवहार में सबके साथ चलो,
संदेश "दिगम्बर" का भाईचारा है क्योंकि मनवता धर्म हमारा है।

-✍️दिगम्बर रमेश हिंदुस्तानी🇮🇳

    

Comments

Popular posts from this blog

मुस्कुराने की सजा

जा रहें है वो

मोहब्बत मे चित्रण